Sunday, March 28, 2010

माँ!
तू चली गई कहाँ?
बहुत याद आ रही है माँ!
आंसू थमते ही नहीं,
तू ही पोंछती थी ना!
जब कभी होता था दिल उदास,
सिर्फ तू और सिर्फ तू ही होती थी पास!
दुलार से सर पर रखती थी हाथ!
देख-
तेरी दी हुई शिक्षा निभा रही हूँ!
तेरी दिखाई राह पर जिए जा रही हूँ!
बस-
एक बार सपने में आजा ना!
फिर,
प्यार से सिर पे हाथ सहला जा ना!

तू चली गई कहाँ!
बहुत याद आ रही है माँ!

तू वहां आराम से तो है न?